ऊखीमठ : मद्महेश्वर घाटी की आराध्य देवी भगवती राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर गायन की तैयारियां संपन्न, 17 जुलाई से होगा शुरू

Team PahadRaftar

लक्ष्मण नेगी

ऊखीमठ : मद्महेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी व पर्यटक गांव रासी के मध्य में विराजमान भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में सावन मास से शुरू होने वाले पौराणिक जागरों के गायन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। युगों से चली आ रही परम्परा के अनुसार भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में सावन व भाद्रपद दो माह तक गाये जाने वाले पौराणिक जागरों के माध्यम से देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर चौखम्बा हिमालय तक पग – पग पर विराजमान तैतीस कोटि देवी – देवताओं की महिमा का गुणगान किया जाता है। दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों का समापन आश्विन महीने की दो गते को भगवती राकेश्वरी को ब्रह्म कमल अर्पित करने के बाद किया जाता है। पौराणिक जागरों के गायन से भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रासी गांव सहित मद्महेश्वर घाटी का वातावरण दो महीने तक भक्तिमय बना रहता है! जानकारी देते हुए राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि इस बार भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरों का गायन आगामी 17 जुलाई से शुरू होगा। उन्होंने बताया कि इस बार 17 जुलाई को सावन मास की संक्रांति के साथ सावन महीने का प्रथम सोमवार व सोमवर्ती अमावस्या का दुर्लभ संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है! शिक्षाविद भगवती प्रसाद भटट्, रवीन्द्र भटट् ने बताया कि भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरों के गायन की परम्परा युगों पूर्व की है तथा ग्रामीणों द्वारा पौराणिक जागरों के गायन की परम्परा का निर्वहन आज भी निस्वार्थ भावना से किया जाता है! युगों से जागर गायन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्ण सिंह पंवार ने बताया कि भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरो के माध्यम से भगवान शंकर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र, भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं के साथ तैतीस कोटि – देवी – देवताओं का आवाहन किया जाता है! मुकन्दी सिंह पंवार ने बताया कि दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों के गायन में धीरे – धीरे युवा पीढ़ी भी अपना योगदान देकर भविष्य के लिए परम्परा को जीवित रखने की रूचि रख रही है! उदय सिंह रावत, कार्तिक सिंह खोयाल, जसपाल सिंह जिरवाण ने बताया कि भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों के गायन से मद्महेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना रहता है तथा पौराणिक जागरो के समापन पर मद्महेश्वर घाटी के हर गांव के ग्रामीण भगवती राकेश्वरी को ब्रह्म कमल अर्पित कर विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना करते हैं।

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