फूलों की घाटी पुष्प उद्यान में जून माह में खिले हैं कम पुष्प, प्रकृति प्रेमी मायूस
संजय कुंवर, वैली ऑफ फ्लावर्स से
उत्तराखंड की विश्व प्राकृतिक धरोहर फूलों की घाटी में पुष्प के कम खिलने से प्रकृति प्रेमियों में मायूसी दिखाई दे रही है।
चमोली जिले की लोकपाल घाटी में स्थित अपनी दुर्लभ जैवविविधता के लिए प्रसिद्ध फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इस बार बर्फ के देर से पिघलने और मौसम में आए बदलाव के चलते जून माह में पुष्पों की कम प्रजातियां देखने को मिल रही है। वर्ष 2005 में यूनेस्को द्वारा घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। तब से वैली ऑफ फ्लावर्स देशी – विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बनी हुई है। इस बार वैली ऑफ फ्लावर्स के प्रवेश द्वार से आगे कुछ दूरी पर ही विशाल ग्लेशियर पर्यटकों का स्वागत करते दिखाई दे रहे हैं और आजकल घाटी में एनिमोना, पोटेंटिला,जिरेनियम,एस्टर,बटरकेप, प्रिमुला,मार्श मेरीगोल्ड,सहित कोबरा लिली और डोलू, खिला हुआ है। साथ ही घाटी में द्वारी पेरा टॉप से आगे एक और हिमखंड पर्यटकों की बाट जोह रहा है।अल्पाईन हिमालई पुष्पों की इस दुर्लभ घाटी में यात्रा का बेस कैम्प घांघरिया से 4 किलोमीटर विकट और थका देने वाली चढ़ाई को पार कर प्रकृति प्रेमी जब फूलों की घाटी के मध्य भाग बामन धोड कम्पार्टमेन्ट में पहुंच रहे हैं तो उन्हें अभी पुष्पों की क्यारियां दूर – दूर तक नजर नहीं आ रही है। बंगलुरू की मानसी और महाराष्ट्र पुणे की हर्षप्रीत जून के प्रथम सप्ताहांत में फूलों की घाटी के टूर के लिए विशेष तौर पर घांघरिया पहुंची हैं, फूलों की घाटी पहुंचने पर उन्हें फूल तो नजर नहीं आए और इसको लेकर वे मायूस दिखाई दिए। लेकिन प्रकृति के मनोरम दृश्यों और ग्लेशियरों के दीदार हुए तो उनके मन को थोड़ा सुकून जरूर पहुंचा। हालांकि एक जून को खुली इस घाटी में अबतक करीब 900 पर्यटक पहुंचे हैं।
दरअसल मई माह तक बर्फबारी होने से घाटी में उगने वाले दुर्लभ पुष्पों के जीवन चक्र में आंशिक बदलाव आना लाजमी है। लिहाजा पर्यटक आजकल घाटी में प्रकृति के दर्शन और ग्लेशियरों का दीदार करने के साथ घाटी के दूसरे छोर पर कलकल बहती पुष्पावती नदी के अविरल धारा को निहारते हुए वापस लौट रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अभी कुछ और समय लग सकता है घाटी में पुष्पों के खिलने में। मिड जुलाई से मिड अगस्त तक फूलों की घाटी में सैकड़ों प्रजाति के दुर्लभ पुष्प खिलते हैं, और यही पीक सीजन भी होता है घाटी का। फ़िलहाल फूलों की घाटी में कम फूल खिलने से प्रकृति प्रेमी मायूस नजर आ रहे हैं।