संजय कुंवर जोशीमठ
पनपतिया पास: साहसिक पर्यटन और रोमांच के शौकीनों की पहली डेस्टिनेशन, बर्फीले बवंडरों को पार कर युवा माउंटेन गाइड अंकित बिष्ट अपने ट्रैकिंग दल के साथ सकुशल लौटे।
गढ़वाल हिमालय में आजकल चारधाम यात्रा से जहां धार्मिक पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं पर्वतारोहण और ट्रेकिंग के लिए भी यह क्षेत्र साहसिक रोमांच के शौकीनों की पहली पसंद बना हुआ है। उच्च हिमालय में 17 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुर्गम पनपतिया पास जो बदरीनाथ धाम से केदारनाथ धाम के लिए जाने वाले पौराणिक ऐतिहासिक ट्रैकिंग रूटों में से सबसे दुरूह और विकट ट्रेकों में से एक माना जाता है। इन दिनों साहसिक पर्यटन के शौकिया ट्रैकरों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। हाई अल्टिट्यूड ट्रेकिंग के शौकीन वेस्ट बंगाल के 4 सदस्यीय ट्रेकिंग दल को लेकर बदरीनाथ खीरों वैली होकर पनपतिया पास के लिए निकले जोशीमठ के स्नो लाइन एडवेंचर के युवा माउंटेन गाइड अंकित बिष्ट खराब मौसम और बर्फीले बवंडरों को पार करते हुए पनपतिया पास की चुनौती को पार कर होकर सकुशल अपनी टीम के साथ जोशीमठ पहुंच गए हैं।
बता दें कि अंकित बिष्ट सबसे कम उम्र के युवा ट्रैकर हैं जिसने हाल ही में कुछ वर्ष पूर्व अजेय माने जाने वाले हिड़न पास गुप्त खाल दर्रे को पार कर रिकार्ड सबसे कम उम्र में गुप्तखाल दर्रा पार करने का कायम किया था। इनके पिता सोहन बिष्ट भी गढ़वाल हिमालय के जाने माने पर्वतारोही है। अपने अनुभव साझा करते हुए अंकित ने बताया कि पन पटिया पास को पार करना आजकल के मौसम को देखते हुए बड़ा चुनौती भरा निर्णय था हमने टीम वर्क के साथ काम करके उच्च हिमालय में विषम परिस्थिति में खुद को तरो ताज़ा रखने की ड्रिल की है लिहाजा ये ड्रिल हमें पनपतिया आइस फिल्ड से आगे चलने में कारगर साबित हुई है और हम बर्फीले थपेड़ों से डटकर सामना करते हुए अपनी मंजिल पनपतिया पास को पार कर वापस सकुशल जोशीमठ पहुंच गए हैं।