लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : विकासखण्ड ऊखीमठ की सीमान्त ग्राम पंचायत गौण्डार से लगभग 10 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य व बूढा़ मदमहेश्वर की तलहटी में बसे भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने के बाद यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है। मदमहेश्वर धाम सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही होने से मदमहेश्वर घाटी के यात्रा पड़ाव गुलजार होने लगे हैं। वही विभिन्न राज्यों से मदमहेश्वर घाटी पहुंचने वाले तीर्थ यात्री व सैलानी भगवान मदमहेश्वर के भव्य व दिव्य दर्शन के लिए साथ ही मदमहेश्वर घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार कर अपने को धन्य महसूस कर रहे है। मदमहेश्वर घाटी के यात्रा पड़ावों पर तीर्थ – यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही होने से स्थानीय तीर्थाटन – पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ मन्दिर समिति की आय में भी वृद्धि होने के आसार बने हुए है। जानकारी देते हुए मन्दिर समिति प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने के दूसरे दिन भी विभिन्न राज्यों के 246 तीर्थ यात्रियों ने भगवान मदमहेश्वर के धाम पहुंचकर पुण्य अर्जित किया। मदमहेश्वर धाम के व्यापारी भगत सिंह पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर यात्रा पड़ाव गौण्डार, बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचटटी सहित मदमहेश्वर धाम में प्रति दिन सैकड़ों तीर्थ यात्रियों की आवाजाही होने से यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है। व्यापारी बलवीर पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर यात्रा के सभी पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों के लिए सभी प्रकार की सुविधायें उपलब्ध है तथा मदमहेश्वर धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। दिल्ली निवासी अभिषेक ने बताया कि मदमहेश्वर धाम में पहली बार आने का सौभाग्य मिला तथा 10 किमी पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैली प्राकृतिक छटा को निहारने से अपार आनन्द की अनुभूति हो रही है। गुडगाँव निवासी प्रियंका ने बताया कि मदमहेश्वर भगवान न्याय के देवता माने जाते है इसलिए इस तीर्थ में बार – बार आने की लालसा बनी रहती है। तुंगनाथ घाटी के प्रकृति प्रेमी मनोज मैठाणी ने बताया कि मदमहेश्वर धाम से पाण्डव सेरा – नन्दीककुण्ड पैदल मार्ग से कल्पेश्वर या फिर रुद्रनाथ की यात्रा की जा सकती है तथा दोनों पैदल ट्रकों को तय करने में सात दिन का समय लग सकता है। थानगांव धनौल्टी टिहरी निवासी विजय सिंह पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर धाम के चारो तरफ फैले भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवो का भरपूर दुलार दिया है इसलिए मदमहेश्वर धाम आध्यात्मिक के साथ प्राकृतिक सौन्दर्य से भी परिपूर्ण है। पहली बार मदमहेश्वर धाम की यात्रा पर पहुचीं देहरादून निवासी अनीता पंवार ने बताया कि अकतोली – मदमहेश्वर धाम तक के पैदल मार्ग का भूभाग, जगह – जगह प्रकृति की गोद में बहते झरने का मधुगंगा का कल – कल निनाद मन को बड़ा शगुन देता है।