संजय कुंवर बदरीनाथ धाम से एक्सक्लूसिव
बदरीनाथ : जय बदरी विशाल के जयकारे के साथ खुले मोक्ष धाम श्री बदरीनाथ के कपाट, आसमान से पुष्प और सफेद बर्फ के फाहों की हुई वर्षा।
भू – बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज गुरुवार प्रातः 07 बजकर 10 मिनट पर वैदिक परम्पराओं ओर मंत्रोच्चार के साथ गुरु पुष्य योग में गीष्मकाल के लिए आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गए हैं, कपाट खुलने पर बदरी धाम में हेली द्वारा श्रद्धालुओं और मंदिर के उपर पुष्प वर्षा की गई, वहीं कपाट खुलते ही धाम का मौसम का मिजाज भी बदल गया ओर बर्फ की फुहारों ओर ओलो से बदरी पुरी आए नारायण भक्तों का स्वागत हुआ। कपाट खुलने के बाद अब पूरी बदरी पुरी में एकबार फिर से वेद ऋचाओं की गूंज सुनाई देने लगी है।
बता दें कि बीते साल 19 नवंबर 2023 के दिन बदरी धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए थे।अब 6 माह के लिए भगवान बदरी विशाल की सभी दैनिक नित्य पूजाओं का दायित्व देवताओं से मनुष्यों के पास आ गया है। जिसका निर्वाहन बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी बन्दे रावल जी विधि विधान से आगे 6 माह तक करेंगे।
अब जबकि भगवान बदरीविशाल के धाम बदरीनाथ के कपाट आज छह माह के लिए खोल दिए गए हैं। नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बद्रीनाथ मंदिर का दिव्य ओर अलौकिक दृश्य मन को प्रफुल्लित कर रहा है। सुबह तड़के से ही मन्दिर के आस्था पथ पर श्रद्धालुओं की पंक्ति बद्घ कतारें अपने आराध्य श्री हरि नारायण के एक झलक पाने को बेताब दिख रही थी,सभी को भगवान श्री नारायण के दर्शन का बेसब्री से इंतजार था। कड़ाके की ठंड में भी तीर्थ यात्रियों की आस्था नहीं डगमगाई,श्रधालु सुबह तक पंक्तियों में दर्शन के लिए डटे रहे, बदरीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के किनारे स्थित है। बदरीनाथ को अलग-अलग कालों में अलग-अलग नामों से जाना गया है। स्कन्दपुराण में बद्री क्षेत्र को मुक्तिप्रदा कहा गया है। त्रेता युग में इस क्षेत्र को योग सिद्ध कहा गया। द्वापर युग में भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन के कारण इसे मणिभद्र आश्रम या विशाला तीर्थ कहा गया है। वहीं, कलियुग में इसे बद्रिकाश्रम अथवा बदरीनाथ कहा जाता है।