उत्तराखंड राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में औद्योगिक, चिकित्सा और वैज्ञानिक उपयोग हेतु भांग की खेती की नयी ड्राफ्ट नीति 2023 की घोषणा कर सक्रिय कदम उठाया है।
इस प्रयास के तहत वीर माधो सिंह भंडारी विश्वविद्यालय, उत्तराखंड के नेतृत्व में भारत की चार प्रमुख भांग कंपनियों ने, रेशे और संबद्ध उद्योगों के लिए भांग की खेती एवं प्रोसेसिंग की तकनीकी पर एक अभूतपूर्व कार्यशाला का आयोजन किया।वर्कशॉप में मुख्य अतिथि के रूप में भरसर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल, कैप उत्तराखंड के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान, वीर माधो सिंह भंडारी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर ओंकार सिंह सहित हेम्प इंडस्ट्री के सम्मानित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में झारखंड के पूर्व मुख्य वन संरक्षक आशीष रावत, एफआरआई से डॉ. विनीत कुमार, निनफेट पश्चिम बंगाल से वैज्ञानिक डॉक्टर कार्तिक सामंत, एक्साइज उत्तराखंड के तकनीकी अधिकारी डॉक्टर शिवेंद्र चौहान,भरसार से अनुसंधान निदेशक डॉ. अमोल वशिष्ठ, एवं डायरेक्टर एक्सटेंशन डॉक्टर अरविंद बिजल्वान जैसे अन्य प्रतिष्ठित दिग्गजों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी यादगार बना दिया।
अपने स्वागत भाषण के दौरान डॉक्टर ओंकार सिंह ने हेम्प के साथ काम कर रहे विभिन्न स्टार्टअप संस्थापकों के साथ बातचीत करने के अपने विस्मयकारी अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने भांग के पौधे की बहुमुखी प्रकृति और राज्य के लिए इसके अपार आर्थिक लाभों पर जोर दिया, एवं तकनीकी प्रगति के माध्यम से भांग उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता स्थापित की।
मुख्य अतिथि डॉ. परविंदर कौशल ने अपने संबोधन में भांग के कई लाभकारी उपयोगों की जानकारी द्वारा लोगों की धारणा को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हेम्प स्टार्टअप्स के प्रयासों की भी सराहना की और डॉक्टर ओंकार सिंह की भावनाओं को प्रतिध्वनित करते हुए प्रदेश में हेम्पउद्योग को आगे बढ़ाने के लिए इंस्टीटूशन्स एवं इंडस्ट्री की पार्टनरशिप को ज़ोर दिया।
कैप के निदेशक डॉ. निरपेंद्र चौहान ने उत्तराखंड राज्य की प्रगतिशील नीतियों की प्रशंसा की, जो औद्योगिक, चिकित्सा और वैज्ञानिक उपयोग जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए भांग की व्यावसायिक खेती का समर्थन करती हैं। उन्होंने राज्य के अनूठे गुणों पर भी प्रकाश डाला, जो इसे भारतीय भांग उद्योग में एक संभावित अग्रणी राज्य बनाते हैं ।
इस कार्यक्रम में हेम्प उद्योग के लीडर्स एवं विशेषज्ञों द्वारा प्रेजेंटेशन प्रस्तुत की गईं। नम्रता हेम्पको लिमिटेड के संस्थापक श्री हर्षवर्धन रेड्डी ने उत्तराखंड के दूरदराज के गांवों में किसानों के लिए एक स्थायी आय का सृजन करते हुए बीज से उत्पादों तक एक मूल्य श्रृंखला बनाने का अपना विज़न प्रस्तुत किया।
आई.आई.टी रूड़की में इनक्यूबेटेड पौड़ी जिले के स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेन्चर्स की कोफाउंडर श्रीमती नम्रता कंडवाल ने उत्तराखंड में ईको सेंसिटिव ज़ोन्स में भांग से सस्टेनेबल बिल्डिंग्स के निर्माण की महती आवश्यकता पर ज़ोर दिया। हिमाचल प्रदेश से कार्यक्रम में शामिल हुए इट्स हेम्प के संस्थापक सृजन शर्मा ने कंस्यूमर टेक्नोलॉजी के माध्यम से हेम्प के उत्पादों को उपभोगताओं तक पहुंचाने एवं उनको जागरूक करने के अपने प्रयासों को साझा किया। ओडिशा से कार्यक्रम में शामिल हुए डेल्टा बॉटनिकल्स के संस्थापक विक्रम मित्र ने उत्तराखंड की पारम्परिक भांग की नस्लों की वैज्ञानिक रूप से जीनोटाइपिंग और फीनोटाइपिंग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया एवं अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की.
कार्यशाला में हेम्प जगत के विभिन्न उद्यमियों ने भांग की खेती एवं प्रोसेसिंग की तकनीकी प्रगति पर चर्चा की। यह कार्यशाला भारत में भांग उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है एवं सस्टेनेबल एवं इस प्रकार के कार्यक्रम, भांग की लाभप्रद कृषि को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है । राज्य सरकार की प्रगतिशील नीतियां, इंस्टीटूशन्स एवं इंडस्ट्री के प्रयासों के साथ मिलकर,भांग के बारे में जनता की धारणा को बदलने और राज्य के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने का काम कर रही हैं. कार्यक्रम में आगाज फेरेरेशन, पीपलकोटी ,चमोली के जे. पी मैठाणी, देहरादून के ओद्योगिक भांग के किसान श्री संकेत जैन , ई आर बी टेक्सटाइल के प्रशांत अग्रवाल आदि शामिल थे।