ऊखीमठ : मद्महेश्वर घाटी के ऊंचाई वाले जंगल विगत तीन दिनों से भीषण आग की चपेट में आने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो गई है, तथा विभिन्न प्रजाति के जंगली जीव – जन्तुओं के जीवन पर भी संकट के बादल मंडराने लगा है। जंगलों में लगी भीषण आग के बारे में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के बेखबर होने से विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है। यदि समय रहते जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू नहीं पाया गया तो क्षेत्र के अन्य जंगल भी भीषण आग की चपेट में आ सकतें हैं।
बता दें कि मद्महेश्वर घाटी के ऊंचाई वाले भू-भाग के जंगल विगत तीन दिनों से भीषण आग की चपेट में हैं। ऊंचाई वाले इलाकों के जंगलों के भीषण आग की चपेट में आने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो गई है, तथा जंगलों में निर्भीक विचरण करने वाले विभिन्न प्रजाति के जंगली जीव – जन्तुओं के जीवन पर भी संकट के बादल मंड़राने लगे हैं। जंगलों में विगत तीन दिनों से लगी भीषण आग के बारे में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के बेखबर होने से विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि मद्महेश्वर घाटी के ऊंचाई वाले जंगलों में लगी भीषण आग की जानकारी विभागीय अधिकारियों को दी गई है मगर केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अधिकारी, कर्मचारी जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू पाने के बजाय मुख्य बाजारों में ढेरा डालकर आराम फरमा रहे हैं! मद्महेश्वर घाटी निवासी कृष्णा आर्य ने बताया कि मद्महेश्वर घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में विगत तीन दिनों से जंगलों में लगी भीषण आग से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो गई है। उन्होंने बताया कि यदि समय रहते जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू नहीं पाया गया तो मद्महेश्वर घाटी के अन्य जंगल भी भीषण आग की चपेट में आ सकते है।