गोपेश्वर
अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच के तत्वावधान में एक काव्य गोष्ठी बसंत ऋतु के आगमन पर आयोजित की गई। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गोपेश्वर से शशि देवली रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ मंजु जौहरी मधुर ने की। संचालन फूलमाला वर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कविता नामदेव की सरस्वती वंदना से शुरू हुई।
काव्य पाठ
शशि देवली
संवरते बदन की शोख अदाओं से पूछिए श्रृंगार क्या होता है
मंडराते भौंरों के बीच खिलती कली से पूछिए निखार क्या होता है।
डॉ मंजु जौहरी मधुर
ऋतु बसंत ने दी है दस्तक एक नया आभास है।
बहुत दिनों के बाद आज आंगन उतरा मधुमास है।
सुमन वर्मा
बासंती बयार जग में आने लगी है
फिजा में रूमानियत सी छाने लगी है।
दामिनी कालरा
ए जिंदगी तुझे जीना चाहती हूं
दिल में तुझे उकेरना चाहती हूं।
फूलमाला
दो घरों को पाकर भी,
बेघर होती है नारी,
खुशियाॅं बाॅंटती है जीवनभर,
पर मायूस होती है नारी।
कविता नामदेव
अजीब है पैसे की धूप – छांव |
पैसे से कोई हंसता कोई रोता ||
रमा शर्मा
उसे पाने के लिए बहुत दूर जाना पड़ा ।
गले मिल कर उसे फिर मनाना पड़ा ।।
कार्यक्रम के अंत में संस्था की अध्यक्ष डॉ मंजु जौहरी मधुर ने सभी को बसंत ऋतु तथा नव वर्ष की बधाई तथा शुभकामनाएं दी।