गुरुकृपा बिना आत्मकल्याण सम्भव नहीं : मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी
संजय कुंवर, ज्योर्तिमठ
चमोली : बुधवार 13 जुलाई
आषाढ शुक्ल पूर्णिमा की ये पवित्र तिथि सनातनधर्मियों के जीवन की महत्वपूर्ण है। ये भारत गुरुओं का देश है । हमारे जीवन में हर स्तर पर गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है । सृष्टि के आरम्भ से ही गुरु की अविच्छिन्न परम्परा चलती चली आ रही है । आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर ज्योतिर्मठ परिसर में गुरुव्यास मण्डल में सभी गुरुओं की पूजा की गई भगवान गणेश और शालिग्राम जी की पूजा की गई ।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज की गद्दी पर उनके स्वरूप चित्र की पूजा की गई । फिर सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया । आचार्य वाणीविलास डिमरी ने सभी अनुष्ठान सम्पन्न कराए ।
आज के इस अवसर पर शङ्कराचार्य जी महाराज के प्रतिनिधि स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी महाराज ने अपनी शुभकामनाएं और पूज्य महाराजश्री का आशीर्वाद ज्योतिर्मठ के भक्तों के लिए व्यक्त किया ।
इस अवसर पर व्यास पूजा के अनन्तर स्वामी मृत्युंजय महादेव आश्रम स्वामी जी ने चातुर्मास्य व्रत का संकल्प लिया
इस अवसर पर ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, व्यवस्थापक विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी, सर्वभूतात्मानन्द ब्रह्मचारी, कुशलानन्द बहुगुणा जी, महिमानन्द उनियाल जी, जगदीश उनियाल, रेखा बिष्ट , प्रेम पंत , मनोज गौतम, दिनेशचन्द्र सती , हरीश डिमरी, अनिल डिमरी, गणेश उनियाल , आशीष उनियाल आदि भक्तगण उपस्थित रहे ।