मशहूर बाल साहित्यकार रस्किन बॉन्ड मनायेंगे अपना ८८वां जन्मदिन..
मसूरी : रस्किन बांड अपना 88वां जन्मदिन सादगी से अपने परिवार के साथ मनाएंगे। वह इस मौके पर उनकी लिखी किताब ‘लिसन टू यूअर हर्ट, द लंडन एडवेंचर’ को अपने प्रशंसकों को समर्पित करेंगे। रस्किन बॉन्ड के पुत्र राकेश बॉन्ड ने बताया कि कोविड के गाइडलाइन का पालन करते हुए रस्किन बॉन्ड घर में ही अपने जन्मदिन परिवार के साथ मनाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों से रस्किन बॉन्ड घर पर रहकर लगातार किताब लिख रहे हैं और हर साल दो से तीन किताबें लिखते हैं।
उन्होंने कहा कि उनके लिखने का जुनून पूर्व की तरह बरकरार है और रस्किन बॉन्ड पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उन्होने बताया कि रस्किन बॉन्ड ने अपने 88वें जन्मदिन के मौके पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि जो प्यार उनको लगातार मिल रहा है, उससे वह बहुत खुश हैं। कोविड के खतरे को देखते हुए अपने प्रशंसकों के बीच में आकर अपना जन्मदिन नहीं मना पा रहे हैं, जिसको लेकर उनको दुख है। उन्होंने कहा कि वह लगातार अपने प्रशंसकों के लिए किताबें लिख रहे हैं और उनके जन्मदिन पर भी वह एक किताब दे रहे हैं।
बता दें कि साल 1999 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया। 2014 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। कैम्ब्रिज बुक स्टोर के स्वामी सुनील अरोड़ा ने बताया कि हर साल रस्किन बॉन्ड के जन्मदिन के अवसर पर अपने बुक स्टोर पर कार्यक्रम आयोजित करते थे लेकिन पिछले दो सालों से कोरोना के कारण कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाया। इस साल भी कार्यक्रम आयोजित नही होगा जिस कारण रस्किन बॉन्ड के प्रशंसक काफी मायूस हैं।
उन्होंने बताया कि वह एक दिन पहले ही रस्किन बॉन्ड के घर गए और उनको 88वें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनकी लम्बी उम्र की कामना की। रस्किन बॉण्ड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। मूलरूप से रस्किन बॉन्ड का परिवार ब्रिटेन का है। बॉण्ड को पढ़ाई लिखाई का बचपन से ही बड़ा शौक रहा है। पहली कहानी ‘रूम ऑन द रूफ’ रस्किन ने महज 17 साल की उम्र में लिख दी थी। 1957 में रस्किन को कामनवेल्थ राइटिंग के रूप में जॉन लिवलिन रेज प्राइज भी मिला था। रस्किन ने एक सौ से अधिक कहानी, उपन्यास, कविताएं लिखी हैं। 1963 में रस्किन बॉन्ड पहाड़ों की रानी मसूरी आ गए। रस्किन बांड की उपन्यास पर कई बॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं।
रस्किन बॉन्ड की बहु बीना कहती हैं कि आज भी वह घर पर अपना पूरा काम करते हैं। बॉन्ड अभी भी निरंतर लेखन का काम कर रहे हैं। रस्किन ने अपने जन्मदिन पर बच्चों से वादा किया है कि उनके लिए अभी भी किताब लिखूंगा।