बदरीनाथ धाम से बड़ी खबर
संजय कुंवर बदरीनाथ
समुद्रतल से साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित
भू -बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुले
“बोल बदरी विशाल की जय” जयकारे से गूंज उठी बदरी पुरी,
बदरीनाथ धाम में उमड़ा आस्था का जन सैलाब
करीब डेढ़ किलोमीटर तक सिंह द्वार से लेकर आस्था पथ पर लगी श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें
आज प्रभात बेला 6 बजकर 15 मिनट पर विधि विधान पूर्वक खोले गए मोक्ष धाम बदरीनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु। मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की उपस्थित में टिहरी नरेश के राज़ पुरोहित और स्थानीय बामणी गांव के हक हकूक प्रतिनिधियों के समक्ष मंदिर का ताला खोला गया।
इसके बाद रावल जी और धर्माधिकारी ने मंदिर में प्रवेश कर भगवान श्री हरि के “घृत कम्बल”का अनावरण किया। विशेष पूजा अर्चना के बाद ही मुख्य सिंहद्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया, ठीक 6 बजकर 15, मिनट पर प्रभात पर्व में खुले भगवान बदरी विशाल के कपाट। मान्यता अनुसार आज से जगत पालन हार भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना का दायित्वों का निर्वाहन करेंगे मनुष्य।शीतकाल में देवताओं तो गीष्म काल में 6 माह मनुष्यों द्वारा पूजे जाने की परम्परा है श्री बदरीनाथ धाम की। गीष्मकाल प्रतिदिन करीब 15 हजार तीर्थ यात्री कर सकेंगे बदरी विशाल भगवान के दिव्य पदमासन विग्रह का दर्शन।
हजारों विष्णु भक्त रात से ही सिंहद्वार के आगे कतारों में अपने आराध्य श्री हरि के दर्शनों के लिए पंक्तिबद्ध खड़े दिखे, करीब 4 बजे से मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया हुई शुरू।