जोशीमठ के लाता बदहाल लिंक रोड को जल्द सुधारीकरण और दुरस्त करने की मांग को लेकर गरजे ग्रामीण,निकाली जोशीमठ में जन आक्रोश रैली
संजय कुंवर लाता जोशीमठ
विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी नेशनल पार्क की मेजबानी करने वाला सीमांत लाता गांव के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर उतरे सड़कों पर,
जोशीमठ क्षेत्र की सीमांत धौली गंगा घाटी का लाता गाँव जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों की मेजबानी करने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इसे लाता गाँव के लोगों का दुर्भाग्य ही कहें कि कई वर्षों से मलारी हाईवे से इस गांव को जोड़ने हेतु PWD द्वारा बनाई गई बदहाल लिंक रोड़ का कार्य आज भी अधूरा और लंबित पड़ा है। साथ ही विगत बरसात से अब सड़क क्षतिग्रस्त होकर पैदल आवाजाही तक के लिए खतरा बन चुकी है। जिसको लेकर आज आक्रोशित लाता गांव के स्थानीय ग्रामीण जोशीमठ मुख्यालय पहुंचे। टी. सी. पी. बाजार से लेकर तहसील प्रांगण तक एक जन आक्रोश रैली निकाल प्रदेश सरकार और क्षेत्रीय विधायक और पीडब्ल्यूडी के खिलाफ नारेबाजी कर जमकर बिफरे। ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव तक जाने वाला मुख्य सड़क निर्माण कार्य है, जो सड़क निर्माण कार्य कई वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है सड़क का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग के द्वारा किया गया जिस लोक निर्माण विभाग ने सड़क तो आधा अधूरा बनाई। लेकिन वह सड़क भी ठीक ढंग से नहीं बनाई। आधा – अधूरा सड़क पिछले दिनों बरसात के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। जहां-जहां क्षतिग्रस्त हुआ है वहां का मलवा सीधा उनके गांव तक पहुंच रहा है, जिससे पूरे गांव को खतरा बना हुआ है। बड़ी बात तो यह है कि जहां पर यह मुख्य सड़क निर्माण कार्य किया गया उस सड़क पर पैदल सफर करना किसी खतरे से खाली नही है। कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है। बता दें कि अगस्त के माह में लाता गांव से मां नंदा जी की डोली सीमांत घाटी के दर्जनों गांव में देवरा यात्रा भ्रमण करने जा रही है, और उस वक्त गांव में काफी बड़ा भव्य मेला का आयोजन होगा और उस वक्त मां नंदा की डोली इसी मुख्य सड़क के रास्ते से होकर के गुजरेगी ऐसे में जिस तरह से सड़क निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है और जिस पर पैदल जाने का तक रास्ता नहीं बचा हुआ है। ऐसे में मां नन्दा की देवरा यात्रा करने में काफी दिक्कतें आ सकती है। जिसको लेक ग्रामीण काफी आक्रोशित है, जल्द सड़क मार्ग सुधार नहीं होता तो लाता के ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।