पीस पब्लिक स्कूल गोपेश्वर में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया लोकपर्व फूलसंग्रांद।
बसंत का आगमन और प्रकृति से जुड़ने का पर्व है फूलदेई ।
आज चैत्र संक्रान्ति फूलदेई का पर्व सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।इसे फूलसंग्रांद भी कहा जाता है। समय की दौड़ और पलायन की मार ने जहां धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाजों को काफी पीछे धकेल दिया था वहीं भारतीय संस्कृति एक बार फिर प्रकृति के संरक्षण के लिए आगे आयी है। चैत्र संक्रान्ति का यह पर्व उत्सवधर्मिता की एक पहचान है जिसे आने वाली पीढ़ी के लिए संजो कर रखना हमारा कर्त्तव्य है । खेत- खलिहानों में खिलती फ्योंली और जंगलों में लाल बुरांस बसंत के गीतों में भरपूर समायी हुई है जो कि हमेशा ही प्रकृति से प्रेम करना सिखाते हैं। आज नौनिहालों ने घर- घर जाकर सभी की देहरियों पर फूल बरसाए हैं। इस दौरान शिक्षण संस्थानों में भी संस्कृति के संरक्षण हेतु किया गया यह अभूतपूर्व प्रयास है। विद्यालय के प्रांगण में भी गीत गाकर ‘फुल फुल माई दाळ चौंळ द्ये’ गाते हुए सभी ऑफिसों के मुख्य द्वार तथा हॉल वह कक्षा द्वार पर फूल बिखेरते हुए बसंत के गीत गाये गये । बदले में नौनिहालों को विद्यालय के प्रबन्धक सत्येन्द्र परमार ने दक्षिणा देकर तथा प्रधानाचार्य विमल राणा ने मिठाई देकर उनका हौंसला बढ़ाया। माना जाता है कि घर के द्वार पर फूल डालकर प्रकृति खिलखिलाती है और घर धन धान्य से परिपूर्ण रहता है। विद्यालय की उप प्रधानाचार्य शशि देवली ने कहा कि अपनी संस्कृति तथा परंपराओं के रख रखाव हेतु आवश्यक है कि बचपन से ही विद्यालयों में छात्रों को प्रकृति प्रेम की शिक्षा देनी चाहिए।इस अवसर पर शिक्षिका सुमन मोल्फा, रीना रावत , रश्मि रावत तथा शिक्षक जगदीश रावत व देवेन्द्र फर्स्वाण उपस्थित रहे।
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Tue Mar 15 , 2022