13 जिलों के रंग विरंगे फूलों से सजी मुख्यमंत्री व राजभवन की देहरी
देहरादून, हिमालयी पर्व फूलदेई के अवसर पर आज रंगोली आंदोलन एक रचनात्मक मुहिम के तहत उत्तराखंड के सभी तरह जिलों से रंग विरंगे फूलों से सजी टोकरियों को नौनिहालों द्वारा राजभवन व मुख्यमंत्री आवास तक ले जाया गया । इस बार गढ़वाल मण्डल से रुद्रप्रयाग व कुमायूँ मण्डल से अल्मोड़ा को प्रतिनिधित्व दिया गया था ।
हिल फाउंडेशन स्कूल, इंडियन एकेडमी, दून इंटर नेशनल स्कूल, मैपल बियर के बच्चों की पारंपरिक वस्त्रों में सजी धजी टोली रुद्रप्रयाग के घोगा माता की फूल डोली व अल्मोड़ा से माँ नन्दा की फूल टोकरी लेकर सबसे पहले सुबह राजभवन पहुंचे हालांकि इस बार राजभवन के द्वार पर महामहिम नहीं आ सके फिर भी ढ़ोल दमाऊं व मशक बाजे के साथ पहुंचे फुलारियों ने महामहिम के मुख्य प्रवेश द्वार पर खूब फूल बरसाए ।
राजभवन के बाद फुलारियों कि टीम मुख्यमंत्री आवास पहुंची जहां पहले से अपने द्वार पर बच्चों के स्वागत में खड़े मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने फुलारियों का स्वागत किया और उन्हें परंपरानुसार गेहूं, चावल, गुड़ के अलावा अन्य उपहार भेंट किए ।
मुख्यमंत्री ने सराहा 18 वर्षों से चली आ रही मुहिम को
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने रंगोली आंदोलन के संस्थापक व समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी व उनकी पूरी टीम को फूलदेई संरक्षण अभियान के 18 वर्ष पूरे हो जाने पर अपनी ओर से वीडियो संदेश भी दिया जिसमें उन्होंने मैठाणी द्वारा निरंतर चलाई जा रही मुहिम को सराहा उन्होंने कहा कि आज इनके प्रयासों से फूलदेई एक बार फिर से जीवंत हो उठी है । और अब न सिर्फ पहाड़ों में बल्कि देश विदेश में भी फूलदेई मनाई जाने लगी है ।
प्रेसक्लब ने किया फूलदेई टीम को आमंत्रित
प्रेस क्लब में फूलदेई के फूल्यारों की टीम पहुंची जहां क्लब के पदाधिकारियों व अन्य सदस्यों द्वारा बच्चों का स्वागत किया गया । प्रेस क्लब द्वारा शशि भूषण मैठाणी के इस मुहिम की प्रशंसा की और कहा कि अब हर वर्ष प्रेस क्लब भी इस परंपरा को आगे बढ़ाएगा ।
18 वर्ष पूरे 19 वें वर्ष से एक और अभियान किया आरंभ :
फूलदेई संरक्षण अभियान के 18 वर्ष पूरे हो गए हैं । और अब 19वें वर्ष में प्रवेश किया इसके साथ अब एक और नए अभियान को इस पर्व से जोड़ दिया है । मुहिम के संरक्षक शशि भूषण मैठाणी ने कहा कि मनुष्य और प्रकृति के बीच के पारस्परिक सम्बन्धों के खूबसूरत पर्व को सामाजिक, सांस्कृतिक माध्यमों के साथ आर्थिक पक्ष से भी जोड़ना अनिवार्य है । उन्होंने बताया कि हर वो त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है जिसमें बाजार जुड़ा हुआ है । ऐसे में फूलदेई को भी बाजार से जोड़ना है जिसके लिए फूलदेई संध्या मुहिम भी शुरू कर दी गई है । इससे फूलों की खेती करने वाले किसानों, व टोकरी बनाने वाले हस्त शिल्पियों के अलावा आने वाले समय में उत्तराखंड के लोक गायकों व संगीत से जुड़े लोगों को भी बड़े स्तर पर रोजगार सृजित हो सकेगा । इसी क्रम में कल भव्य फूलदेई आह्वान संध्या का आयोजन किया गया जिसमें 4 परिवारों ने वर्ष 2023 की फूलदेई से पूर्व फूलदेई संध्या आयोजित करने का निर्णय लिया गया है ।