बसंत व हिमालयी पर्व फूलदेई पर बच्चों ने घर-घर जाकर विभिन्न रंगों के फूलों को देहरियों में डालकर मनाया गया।
फाल्गुन का महीना आते ही जब जाड़ा कम होने लगता है तब समूचे पहाड़ में शनैः शनैः बसन्त की रंगत बिखरने लगती है। सुदूर जंगल में खिले लाल बुंराश के साथ ही गांव के खेतों व रास्तों के किनारे खिली पीली सरसों, प्योंली,भिटौर, किलमड़, पंय्या तथा आड़ू व खुबानी के श्वेत गुलाबी फूलों की मोहक छटा देखकर यहां के निवासियों का हृदय हर्ष व उल्लास से भर जाता है।
सोमवार को चैत्र मास पर उत्तराखंड के साथ ही सीमांत चमोली जिले के गांव – गांव घरघर में नौनिहालों ने बसंत के रंग-बिरंगे फूलों को चुनकर टोली बनाकर कर देहरियों में डालकर पावन पर्व को मनाया गया।