चुनाव का शोर इस बार शहर से ज्यादा आजकल गांव में बना हुआ है। सभी दलों के प्रत्याशी व कार्यकर्ता घर- घर जाकर जनसंपर्क कर वोट मांग रहे हैैं। जनता इस बार चुनाव लहर के बजाय प्रत्याशियों के काम पर करेंगी वोट।
हर बार चुनाव के समय शहरों में चुनाव का शोर हुआ करता था। लाउडस्पीकर, रैलियां व बड़ी बड़ी जनसभा करके सभी पार्टियां वोटरों को रिझाने का काम करती थी। राष्ट्रीय पार्टियों के बड़े नेता जनसभा करके अपने प्रत्याशी को जिताने में माहौल बनाते थे। लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुपालन में चुनाव किए जा रहे हैं। जिसमें रेलियां रोड शो और बड़ी जनसभाओं करने पर रोक लगी हुई है। इसके चलते राष्ट्रीय पार्टी भाजपा – कांग्रेस के नेता अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल नहीं बना पा रहे हैैं! जिसके चलते इस बार प्रत्याशियों की अग्नि परीक्षा जनता की अदालत में होने वाली है। चुनाव आयोग की बंदिशों के बाद चुनाव का शोर इस बार शहरों में थम कर गांव में शोर मचा रहा है। सभी पार्टी के उम्मीदवार व कार्यकर्ता टोली बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में घर घर जाकर जनसंपर्क कर रहे हैं और अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं। साफ है कि इस बार गांव की जनता चुनावी लहर के बजाय अपने उम्मीदवार की कार्यकुशलता पर ही वोट करने वाले हैं। ऐसे में जो नेता चुनावी लहर में अपनी वैतरणी पार करने की सोच रहे थे उस पर पानी फिरने वाला है।
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Thu Feb 10 , 2022