उत्तराखंड की शशि देवली भारतीय महिलाओं को उनका स्वतंत्र निर्भीक आकाश दे रही है।
देवभूमि उत्तराखंड की एक कवियत्री, लेखिका कलम से क्रांति लाकर महिलाओं को सशक्त करने में जुटी है | आज के दौर में साहित्य की गंगा बनकर समूचे राष्ट्र में देव भूमि से उतरकर भारत की संस्कृति में नारी के सम्मान की रक्षा के लिये अपनी तेज़ धार कलम से देश वासियों के दिलों में अपनी एक सशक्त पहचान बना रही है वो है शशि देवली ।
शशि देवली जी सचमुच महिला सशक्तिकरण के लिये अपने विभिन्न आयामों द्वारा उन्हें आत्म निर्भर, निर्भीक, नव निर्माण के प्रति प्रेरित कर रही है तथा उसमें सफल भी…हो रही है | उत्तराखंड का शौर्य साहस और स्वाभिमान का सबसे बड़ा सम्मान #तीलू_रौतेली_सम्मान / पुरुस्कार जिन्हें मिला है |
बद्री विशाल जी की भूमि, अलकनन्दा की तलहटी जनपद चमोली के गोपेश्वर में एक निजी विद्यालय पीस पब्लिक स्कूल में उप प्राचार्य के पद पर कार्यरत मैडम शशि जी बालक/ बालिकाओं को एक सुंदर भविष्य हेतु उनके आत्मबल को, उनके सम्मान को बनाने हेतु, उन्हें सकारात्मक सोच के साथ राष्ट्र सेवा के लिये जीवन उपयोगी टिप्स देकर उन्हें शक्तिशाली बना रही है | बालिका उत्थान व उन्हें उड़ान देने के लिये सहयोग और समर्पण देकर उन्हें नव भारत में सम्मान के साथ स्थापित करने की तैयारी में अपना कर्तव्य निभा रही है |
आज शशि जी लेखन के साथ- साथ सामाजिक क्षेत्र में भी समाज में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है।वे जन प्रिय होने के साथ ही अपने लेखन द्वारा सारे मिथक तोड़कर नव परिकल्पना को साकार कर नव परिवेश को जीवंतता दे रही है | इनकी अब तक अनेकों साझा संग्रह निकल चुके है | एकल काव्य संग्रह में ” मुड़ के देखना कभी” “मन कस्तूरी”, ” उड़ने की चाह “, ” इश्क से राबता ” तथा “यादों की दस्तक” पुस्तकें पाठकों के दिलों में अपना श्रेष्ठ स्थान बना चुकी है |
इनका एक आलेख ” स्त्री आखिर तेरा कसूर क्या है? ” कई प्रश्न इस भारतीय समाज के सामने सोचने को मजबूर करते है | हिन्दी के विकास व हिन्दी को ऊँचाई तक ले जाने हेतु हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किये जाने हेतु भारत के राष्ट्रपति जी को पत्र लेखन अभियान से भी जुड़ी है |
भारत वर्ष का सबसे बड़ा प्रभावी कवि सम्मलेन जो 11 जुलाई 2021 से 16 जुलाई 2021 तक निरंतर बिना रुके चले 150 घंटो का वर्चुवल कवि सम्मलेन में भी कवियत्री शशि मैडम देवली जी ने श्रेष्ठ काव्य पाठ करके सभी का मन मोहा | इनकी नारी सशक्तिकरण की एक बानगी इन पंक्तियों में —
“कोरे पन्ने पर दर्द लिखने के लिए, मैने अब तक ज़ख्मो को संभाला है, हाथों की लकीरों से पूछे क्या अब, जब धधक रही हृदय में ज्वाला है |” सभी महिलाओं की व्यथा को उकेर कर उन्हें आगे बढ़ने को प्रेरित करती है | शशि मैडम ने अपनी मात्र भाषा,आँचलिक भाषा गढ़वाली में ही कई रचनाएँ, गीत गढ़े…. है | भारत वर्ष के पितृसतात्मक परिवार व्यवस्था पर भी पुरुषों के झूंठे अहम् को अपनी रचना ” कचरे के ढेर में…!” में शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है | शशि देवली जी ने दुनिया को चेतावनी देते हुये नारी सम्मान के लिये अपनी सशक्त लेखनी से कविता –
” दुनिया वालों इसे कमजोर ना समझो –
सीता है,काली का रूप दिखलाएगी,
माँ, बाबुल की पहचान बनेगी……,
जग जीत कर दिखलाएगी…!!”
उपरोक्त कविता की प्रेरणा की चिंगारी नारियों को होंसला भी देती है तथा सभी को आगाह भी करती है | बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत कई बेटियों को संबल भी प्रदान किया है | शशि जी, गाती भी मधुर लय में तथा आक्रोश की कवितायें भी आग उगलती है | भाव पक्ष, शब्द शैली, तुरंत सभी के मन पर दस्तक तीव्रता से देती,सामाजिक सरोकारों के विषय,राष्ट्रीय चेतना जागृत करने हेतु इनकी लेखनी जीने का अहसास जगाती है तो एक सामाजिक विकृत ताने बाने पर अंकुश लगाने का काम भी करती है | शशि रचनाकार के साथ एक बहुत बड़ी दिल की मालिक भी है | मित्रों के साथ इनके अपनत्व भरे, निश्छल व्यवहार,सादगी के गुणों ने सभी को अपना बना लिया है | सम्पूर्ण दुनिया के अभावों को, दुःख दर्दो को मिटाने का संकल्प का लक्ष्य लेकर अपनी लेखनी से नव आशा का आसमान निर्मित कर रही है | देव भूमि दैनिक न्यूज़ पोर्टल उत्तराखंड की संपादक भी है | कलम क्रांति साहित्यिक मंच चमोली उत्तराखंड की संस्थापिका भी है | बहुमुखी प्रतिभा की यह कवियत्री ऊँचे आसमान में अपनी उड़ान स्वयं होंसलो के साथ भरकर लक्ष्य भेद कर सफलता प्राप्त करती है | साहित्य की हर विधा को आत्मसात कर बिना रुके, बिना झुके, बिना थके आगे बढ़ रही है तथा दूसरों के लिये प्रेरणा की एक चिंगारी बन कर नारी सम्मान के लक्ष्य को अपनी मुट्ठी में कैद कर इस भारत में महिलाओं को एक स्वतंत्र आकाश देने हेतू दृढ़ संकल्पीत है | शशि देवली जी निर्भीकता का दूसरा नाम है| हम सभी इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है तथा इनके वसुधेव कुट्टूम्बक्कम प्रयासों हेतु इनकी लेखनी को प्रणाम करते है | इनको शुभकामनाएं एवं बधाई।
– प्रस्तुति – प्रहलाद मराठा